‘सालमपंजा’ चमत्कारी जड़ी-बूटी , बस एक चम्च और चमत्कार, घोड़े जैसी मर्दाना ताकत पूरी रात !
शीघ्रपतन, हस्तमैथुन से आई कमजोरी, तनाव कम आना , बात करते समय चिपचिपा पदार्थ बाहर आना, लिंग का साईज़ बढ़ाना, लिंग कठोर करना , संभोग शक्ति बढ़ाना, सेक्स के बाद कमजोरी आना और दूसरी बार सेकस करने को मन ना करना आदि इन सब समस्याओं का रामबाण इलाज है सालमपंजा
‘सालमपंजा’ एक बहुत ही गुणकारी, बलवीर्यवर्द्धक, पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाकर नपुंसकता नष्ट करने वाली वनौषधि है। यह बल बढ़ाने वाला, शीतवीर्य, भारी, स्निग्ध, तृप्तिदायक और मांस की वृद्धि करने वाला होता है। यह वात-पित्त का शमन करने वाला, रस में मधुर और अत्यधिक बलवीर्यवर्द्धक होता है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसे बजिदान या सालेबमिसरी, कश्मीर में इसे सालम पंजा, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड में हत्ताजड़ी, लेह लद्दाख में वांगलैक या अंगुलग्पा तथा अंग्रेजी में हिमालयन मार्श अॉर्किड के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे बीजागंध, गुजराती एवं पंजाबी में सालम, बंगाल में मिछरी, मराठी में इसे सालम मिश्री, असमी में सालब मिश्री, तेलगु में गोरू चेटु एवं अंग्रेजी में इसे सालेप कहा जाता है।
सालम पंजा के फायदे – Salab panja ke fayde
उच्च क्वालिटी की सालम क्रिम कलर की तरह होती है। यह देखने में गूदेदार और टूटने पर चमकीली सी होती है। इसकी गंध कुछ विशेष होती हैं
औषधीय उपयोग के लिये इस पौधे की जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जड़ें इंसान के हाथ की तरह होती हैं जिसमें 1-2 इंच लम्बी सफेद रंग की 2 से 5 उंगुलियाँ पाई जाती हैं। स्वाद में इसकी जड़ें हल्की मीठी होती हैं। इसके पुष्प लगभग 1.5 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं जो इसके 5 से 15 सेंटीमीटर पुष्पगुच्छ पर घनी संख्या में लगे रहते हैं। इसकी जड़ें कामोत्तजक, पोषक, तंत्रिका तंत्र को सुदृढ़ बनाने वाली तथा शक्तिवर्धक गुणों से भरपूर होती हैं।
सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।
सालमपंजा से बढ़ाये सेक्स पावर – Salam Panja Benefits in Hindi
वर्ष 2007 में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह पाया गया है कि यह सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है। चूहों पर किए गए परीक्षण इस बात के भी पर्याप्त वैज्ञानिक संकेत देते हैं कि यह प्रौढ़ चूहों में टेस्टोस्टिरॉन नाम हॉर्मोन्स के स्तर में वृद्धि करता है।
परिचय : सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।
समुद्र यात्रा : समुद्र में प्रायः यात्रा करते रहने वाले पश्चिमी देशों के लोग प्रतिदिन 2 चम्मच सालमपंजा चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर शकर मिलाकर पीते हैं। इससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहती है तथा क्षुधा की पूर्ति होती है।
यौन दौर्बल्य : सालमपंजा 100 ग्राम, बादाम की मिंगी 200 ग्राम, दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन गुनगुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है। यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है। अतः महिलाओं के लिए भी सेवन योग्य है।
शुक्रमेह : सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। प्रतिदिन आधा-आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।
जीर्ण अतिसार : सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है। एक माह तक भोजन में सिर्फ दही-चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग को लाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है।
प्रदर रोग : सलमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच सुबह व रात को गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।
वात प्रकोप : सालमपंजा और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है। साँस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।
विदार्यादि चूर्ण : विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है। यह योग बना-बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है।
रतिवल्लभ चूर्ण : सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम। छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल-सब 25-25 ग्राम। मिश्री 125 ग्राम। सबको अलग-अलग खूब कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को गुनगुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है। शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।
दस्त: इस पौधे के एक्सट्रैक्ट को दस्त उत्पन्न करने वाले बैक्टीरीया ई.कोलाई को नियंत्रित करने वाली एंटी-माइक्रोबियल औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
बुखार: सालम पंजा की जड़ों से प्राप्त म्यूसिलेज जेली को निर्जलीकरण, दस्त तथा लम्बे समय से चल रहे बुखार (Chronic fever) के इलाज में प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे पैरालिसिस (Paralysis) के प्रभाव को कम करने में भी प्रयोग किया जाता है।इसे पेट दर्द, दस्त, खाँसी, त्वचा के जलने तथा कटने-फटने, फ्रैक्चर आदि अनेक समस्याओं तथा बीमारियों में प्रयोग किया जाता है।
सालम पंजा की प्रयोग विधि – How to use Salam Panja
सालम पंजा अर्थात सालम मिश्री की 6 ग्राम से 12 ग्राम मात्रा तक ली जा सकती है।
दवा की तरह इसका प्रयोग करने के लिए एक या दो चम्मच चूर्ण को गरम दूध के साथ लिया जा सकता है।
नोट : डॉक्टर की सलाह के बिना इनका प्रयोग न करें क्योंकि औषधियों का असर अनेक बातों पर निर्भर करता है और एक ही औषधि एक व्यक्ति के लिये अमृत और दूसरे के लिये जहर सिद्ध हो सकती है। सभी की दवा समस्या और वात पित्त और कफ के हिसाब से अलग अलग होती हैं । तो जरूरी है कि किसी अच्छे वैद्य की देख-रेख में ही अपना इलाज शुरू करवाए
Related