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Apamarg (chirchita):अपामार्ग पेट की चर्बी, दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 15 रोगों के लिए वरदान से कम नही

Apamarg (chirchita): अपामार्ग (चिरचिटा)  – apamarga ke fayde in hindi

Apamarg (chirchita):अपामार्ग तंत्र और आयुर्वेद की एक बेहद अहम वनस्पति है । आम बोलचाल की भाषा में चिरचिटा, चिड़चिड़ा जैसे नामों से ये पहचाना जाता है। देश के लगभग हर हिस्से में ये आसानी से मिल जाता है। इसके पौधे स्वतः ही उग जाते हैं। अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है। आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं। सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं। इसके अलावा फल चपटे होते हैं, जबकि लाल अपामार्ग का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।

अपामार्ग (Achyranthes Aspera) का उपयोग फोड़े, अस्थमा, प्रसव, रक्तस्राव, ब्रोंकाइटिस, दुर्बलता, जलोदर, सर्दी, शूल, खांसी, कुत्ते के काटने, सांप के काटने, बिच्छू के काटने, पेचिश, कान दर्द, सिरदर्द, ल्यूकोडर्मा, गुर्दे की जटिलताओं के उपचार में किया जाता है।

अपामार्ग के स्वास्थ्य लाभ – apamarga plant benefits in hindi

1. मतली से राहत और घावों को ठीक करें

यदि आप लगातार उल्टी के दौरों से पीड़ित हैं, तो आप राहत पाने के लिए अपामार्ग का उपयोग कर सकते हैं। यह थोड़े समय के भीतर आपके मतली के लक्षणों से राहत दिलाएगा। खरोंच और घावों पर अपामार्ग की क्रिया उपचार के समय में सुधार करने में मदद करती है।

2. अस्थमा

अपामार्ग फेफड़ों को खोलता है जिससे यह ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के लिए अद्भुत लाभ होता है। अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए अपामार्ग के फूलों को बराबर मात्रा में लहसुन और काली मिर्च के साथ पेस्ट बनाया जाता है। 1/2 चम्मच दिन में 3 से 4 बार लें। यह सर्दी और फ्लू से जुड़े बुखार के लिए भी अच्छा काम करता है।

3. वजन घटाना

अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो इस जड़ी बूटी का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करें। जल्द ही आपका वजन कम होने लगेगा। यह पाचन क्रिया को दरुस्त करता है । साथ ही यह फैट के जमाव को भी कम करता है जिससे आपके शरीर का वजन कम होने लगता है। भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।

4. शरीर को डिटॉक्सीफाई करें

अपामार्ग शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने के लिए एक मजबूत जड़ी बूटी मानी जाती है जो पूरे शरीर के लिए प्रभावी विषहरण पैदा करती है। इस के इस्तेमाल से आप शरीर से सभी अतिवृष्टि कफ और वातदोष को दूर कर सकते हैं।

5. पाइल्स और खुजली से पाएं आराम

अपामार्ग जड़ी बूटी का उपयोग करके आप बवासीर से राहत पा सकते हैं। यह दोषों की संतुलन क्रिया के कारण होता है जो कब्ज और अन्य स्थितियों को रोकता है जो बवासीर की ओर ले जाती हैं। अपामार्ग बाहरी दर्द, बिच्छू के काटने और खुजली में भी प्रभावी काम करता है। आप घाव की जगह पर इसका पेस्ट बना कर लगा सकते हैं ।पत्तों के रस को दांतों के दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है। अपामार्ग के बीजों को पीसकर उनका चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चावलों के धोवन के साथ देने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।

6. टूथ पाउडर

अपामार्ग के बीजों को नमक के साथ पीसकर पाउडर बनाया जा सकता है, यह आपके दांतों को साफ करता है और सफेद करता है और आपके मसूड़ों से खून बहने से रोकता है। और इसके पौधे के सूखे तनों को टूथब्रश के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।अपामार्ग की शाखा (डाली) से दातुन करने पर कभी-कभी होने वाले तेज दर्द खत्म हो जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।

7. संक्रमण को ठीक करता है खांसी और बलगम को कम करने में मदद करता है

यह संक्रमण को ठीक करने और पेट के कीड़ो से छुटकारा पाने के लिए उपयोगी है। नियमित रूप से जड़ी-बूटी का सेवन करने से आप बलगम को तोड़कर बाहर निकाल सकते हैं।अपामार्ग की जड़ में बलगमी खांसी और दमे को नाश करने का चामत्कारिक गुण हैं। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी में लाभ होता है।
अपामार्ग के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाने से बच्चों की श्वासनली तथा छाती में जमा हुआ कफ दूर होकर बच्चों की खांसी दूर होती है।

8. भूख के नियंत्रित करने के लिए

अपामार्ग में शरीर में वात और कफ दोषों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। उन रोगों में जहां अनियंत्रित भूख एक भूमिका निभाती है, इस जड़ी बूटी का उपयोग चिकित्सा के लिए किया जा सकता है। अपामार्ग के फूल से दलिया बनाकर रोगी को खिलाएं। वे जल्द ही अपनी बीमारी से उबर जाएंगे। इसके अलावा, आप शरीर में ‘अमा’ को पचा सकते हैं जो जीआई पथ में बचा हुआ अपचित भोजन है।

9. पाचन में सुधार, ग्रंथियों की वृद्धि और हिचकी का इलाज

अपामार्ग स्वाद में सुधार करती है, और यह एनोरेक्सिया से राहत के लिए उपयोगी है। यदि आपको फाइब्रॉएड और ग्रंथियों में वृद्धि है, तो आप इस स्थिति को ठीक करने के लिए अपामार्ग जड़ी बूटी का उपयोग कर सकते हैं। यदि आपको हिचकी आती है, तो जड़ी बूटी का काढ़ा लें, और आपकी हिचकी गायब हो जाएगी।

10. कान दर्द और उत्कृष्ट मूत्रवर्धक क्रिया का इलाज

लोग कान के दर्द से राहत पाने के लिए अपामार्ग के तेल का इस्तेमाल करते हैं। इस तेल की कुछ बूंदे कान में डालें और जल्द ही आपके कान का दर्द दूर हो जाएगा। यह डिसुरिया, मूत्र प्रतिधारण, जल प्रतिधारण और मूत्र पथरी से पीड़ित लोगों के लिए भी फयदेमंद है। आप मूत्राशय और गुर्दे की पथरी को तोड़ने के लिए अपामार्ग का उपयोग कर सकते हैं।

11. एनीमिया का इलाज और रक्तस्राव विकार का इलाज

यह जड़ी बूटी रक्त गणना में सुधार कर सकती है। अपामार्ग का पेस्ट बनाएं और इसे आहार में शामिल करें। एनीमिया के लक्षणों से राहत पाने के लिए इसे सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार लें। अपामार्ग जड़ी बूटी के फल को पचाना मुश्किल होता है। यह रक्तस्राव विकारों को नियंत्रित करने और ठीक करने के लिए उपयोगी है।

12. गैस से राहत, पीलिया ठीक और दमा में सहायक

जब आंतों में गैस जमा हो जाती है, तो इससे पेट में सूजन और खिंचाव हो सकता है। अपामार्ग के पेस्ट को आहार में शामिल करने से गैस की समस्या से राहत मिल सकती है।

जब आपको लीवर की बीमारी हो और आप पीलिया जैसी बीमारियों से प्रभावित रहते हैं, तो आप इसका इलाज पाने के लिए जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस जड़ी बूटी को नियमित रूप से सुबह और शाम चाय के साथ लें। आपकी पीलिया की समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।अपामार्ग अस्थमा की समस्या को दूर करने में मदद करता है। यह वायु मार्ग को खोलकर श्वास लेने में मदद करता है। इसके लिए आप जड़ी-बूटी के काढ़े का इस्तेमाल कर सकते हैं।

13. स्त्री रोग और कई बिमारिओं के इलाज में मदद

अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव होने के कारण से जो स्त्रियां गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, उन्हें ऋतुस्नान (मासिक-स्राव) के दिन से उत्तम भूमि में उत्पन्न अपामार्ग के 10 ग्राम पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ को गाय के 125 मिलीलीटर दूध के साथ पीस-छानकर 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर ल। यह प्रयोग यदि एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक तीन बार करें।
10 ग्राम अपामार्ग के पत्ते, 5 दाने कालीमिर्च, 3 ग्राम गूलर के पत्ते को पीसकर चावलों के धोवन के पानी के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ होता है।
अपामार्ग की जड़ 10 ग्राम, कपास के फूल 10 ग्राम, गाजर के बीज 10 ग्राम को 250 ग्राम जल में उबालें। जब 20 ग्राम के लगभग जल शेष रह जाए तो इसे छानकर रात्रि के समय पिलाने से सुबह ऋतुस्राव (माहवारी) बिना दर्द के होता है।

14 . गंजापन :

सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।

15. संतान प्राप्ति के लिए :

अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ धारण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

अपामार्ग के लिए सावधानियां

गर्भावस्था में अपामार्ग का प्रयोग न करें। इससे गर्भपात हो सकता है। उड़ीसा में आदिवासी महिलाएं अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इसके मूल रस का इस्तेमाल करती हैं।

अपामार्ग मौखिक रूप से लिए जाने पर प्रयोगों में शुक्राणुओं को कम करने के गुण भी दिखाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सावधानी से करें।

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