
खांसी-बुखार की दवा बनी बच्चों की मौत का कारण!
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अगर आप सर्दी खांसी से पीड़ित बच्चे को यह दवा दे रहे हैं, तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह आपके बच्चे की जान ले सकता है। पटियाला में पांच साल के बचे को दवा देने के बाद उसे उल्टी हुई और जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसके टेस्ट में पता चला के उसके लीवर किडनी और ब्रेन में खतरनाक इन्फेक्शन हो गया ,उसके सेल भी बहुत कम हो गए गंभीर हालत में बचे को पीजीआई के लिए रेफर कर दिया गया। इमरजेंसी अस्पताल पहुंचे लेकिन इलाज के दौरान दो बार दिल का दौरा पड़ा और बच्चा कोमा में चला गया |
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यह बच्चा अब 6 फरवरी से जीवन और मृत्यु के लिए लड़ रहा है। इस दवा का नाम कोल्ड बेस्ट पीसी है जिसे सामान्य रूप से छोटे बच्चों को देने बैन लगा दिया गया है।
जम्मू में खांसी बुखार की दवा से बच्चे की हुई मौत मामले के बाद से अब में अब हरियाणा ओषधि नियंत्रक विभाग भी सख्त हो गया है जिसके चलते ओषधि नियंत्रक विभाग ने छापेमारी कर अंबाला में कोल्ड बेस्ट पीसी दवा के सैंपल सिल किये। इस दवा का निर्माण हिमाचल के काला अम्ब में होता है। लेकिन जहाँ जहाँ इस दवा की सप्लाई हुई वहां वहां भी विभाग ने छापेमारी की गयी है। विभाग का कहना है इस दवा का प्रयोग लोग बिलकुल ना करें ये हानिकारक हो सकती है.
उत्तराखंड के ड्रग कंट्रोलर तेजबीर सिंह ने कहा कि राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली (DCGI) से एक नोटिफिकेशन मिला है, जिसमें कहा गया है कि खांसी की दवाई ने पिछले कुछ हफ्तों में हरियाणा में शिशुओं की जान जाने का दावा किया है।
“डीसीजीआई के पत्र के अनुसार, कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल होता है, जो पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ के डॉक्टरों का मानना है कि हरियाणा में शिशुओं की मौत का कारण है। यह सिरप हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले में स्थित एक दवा कंपनी मैसर्स डिजिटल विजन द्वारा निर्मित है। उत्तराखंड के ड्रग विभाग ने कोल्ड बेस्ट पीसी सिरप की बिक्री और खपत की जांच करने की पहल की है। सभी डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर मालिकों और संबंधित विभागों को दवा की बिक्री की पर रोक लगा दी गई है ।
सिंह ने कहा, “स्थानीय लोगों से भी अनुरोध किया जाता है कि वे दवा की बिक्री या खपत के बारे में स्वास्थ्य और औषधि विभाग को सचेत करें।”