
Best cooking utensils for health in Hindi : kis bartan me khana pakana chahiye
बीमारियों से दूर रहने के लिए साफ-सफाई बेहद जरूरी होती है। ऐसे में लोग अपने घर खासकर की बर्तनों को साफ रखते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके किचन में मौजूद बर्तन ही आपको बीमार कर सकते हैं। जी हां, एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि खाना पकाने के बर्तन भी सेहत पर असर डालते हैं।
एल्युमिनियम के बर्तनों के नुकसान
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एल्युमिनियम या हिंडालियम के बर्तन खतरनाक बीमारियों का कारण बनते हैं। इन घुलनशील धातु के बर्तनों के मात्र एक या दो वर्षों में उपयोग से गुर्दे, यकृत, तिल्ली, आंत, पित्ताशय, मस्तिष्क, हृदय, मूत्राशय, आंख, त्वचा, बाल और जननांग आदि पर प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है।
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लक्षणों में एसिडिटी, पेट फूलना, अपच, बार-बार प्यास लगना, जी मिचलाना और सिरदर्द शामिल हैं। फिर पीठ दर्द, पेट में भारीपन, खुजली, बालों का झड़ना, बार-बार मुंह के छाले, याददाश्त कम होना, फूड एलर्जी आदि होता है। कुछ लोगों में कैंसर, लीवर में सूजन, गुर्दे की विफलता, क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस, पुरानी अमीबिक पेचिश, तनाव और दिल की धड़कन विकसित हो जाती है।
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हड्डियों का विकास रुक जाता है। महिलाओं के अंडाशय में दोष दिखने लगते हैं। पुरुषों के शुक्राणु कम या दोषपूर्ण होते हैं। पूरी दुनिया में कई तरह के धातु के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है।
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लेकिन किसी भी धातु के बर्तन पर गीली उंगली रगड़ने से अगर उंगली पर कालापन या कोई गंदगी हो तो समझ लें कि यह धातु पकाते समय घुल जाएगी। धातु चाहे कोई भी हो, भोजन में घुलने पर यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
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भोजन के माध्यम से कितनी भी धातु शरीर में प्रवेश कर जाए, यह रक्त और मांसपेशियों में जमा हो जाती है। शरीर इसे बाहर नहीं निकाल सकता। जब ऐसे बर्तनों में पानी गर्म किया जाता है, तो यह पानी में अन्य खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करके अधिक घुलनशील हो जाता है।
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इस तरह एल्युमिनियम के बर्तन में गर्म पानी में घुले जहरीले तत्व त्वचा के रोमछिद्रों के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं. इसी प्रकार यदि किसी खाद्य पदार्थ या पेय को एल्युमिनियम के बर्तन में कुछ सेकेंड के लिए भी गर्म किया जाए तो एल्युमिनियम के विषैले तत्व भोजन में घुल जाते हैं।
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भारत में पिछले कुछ सालों से ऐसे खतरनाक बर्तन आमतौर पर हर घर में चाय, दूध उबालने, दही जमाने, सब्जियां बनाने, पानी उबालने आदि के लिए इस्तेमाल किए जाते रहे हैं।
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पूरे भारत में हलवाई और रेस्टोरेंट भी इन बर्तनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं। एल्युमीनियम के बर्तनों या मशीनों में बिस्कुट, ब्रेड, जूस, क्रिस्प, लेस, सॉस, शराब, कोल्ड ड्रिंक आदि और कई तरह की दवाएं भी बनाई जाती हैं।
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जूस मशीन भी एल्युमिनियम की बनी होती है। रस में मौजूद क्षारीय या अम्लीय तत्व भी एल्युमिनियम का क्षरण करते हैं। इसलिए एल्युमिनियम मशीन से किसी भी प्रकार का जूस नहीं पीना चाहिए।
नॉन स्टिक बर्तनों के फायदे और नुकसान –
नॉनस्टिक बर्तनों ( Non Stick Cookware) में तेल तो कम लगता ही है, साथ ही इनकी साफ-सफाई भी बहुत आसानी से हो जाती है। इसीलिए, लोग इन्हें इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। लेकिन, इन बर्तनों का इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है। भले ही इनमें ऑयल का कम इस्तेमाल होता है, लेकिन बहुत देर तक इनमें खाना पकाने से पॉलिटेट्राफ्लूरो इथेलिन नाम का केमिकल निकलता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।
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नॉन स्टिक बर्तनों से कैंसर का खतरा बढ़ता है (Non Stick Cookware Side Effects)
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नॉन स्टिक बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में आयरन की कमी होती है, जिससे हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं
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नॉन स्टिक बर्तनों में मौजूद PFO की वजह से थायरॉइड होने की संभावना बढ़ जाती है
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इनमे खाना बनाने से हाई ट्राईग्लिसराइड की स्थिति बढ़ती है। जिससे, दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ता है
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ऐसे बर्तनों को खाना बनाने के तुरंत बाद टिश्यू पेपर से पोंछ दें। इसी तरह हमेशा प्लास्टिक या नर्म स्पंज से इन्हें साफ करें। कभी भी नॉन स्टिक बर्तनों को घिसकर साफ नहीं करें।
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इन बर्तनों के लिए विशेष चम्मच, कडछी खरीदें बाज़ार में उपलब्ध होती हैं उसी का इस्तेमाल करें। क्योंकि, साधारण चम्मच से टेफलॉन की कोटिंग खुलकर खाने में मिक्स हो जाती है। जो सेहत के लिए नुकसानदायक है।
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इसे धीमी आंच पर ही रखकर खाना पकाएं।
स्टील के बर्तनों के फायदे और नुकसान – utensils side effects in Hindi
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स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल शहरों में खूब किया जाता है। हालांकि, यह एक प्रकार का मिक्स धातु होता है, जो निकल, क्रोमियम, कार्बन आदि से मिलाकर बनता है। इसके बर्तन भी काफी सस्ते होते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल भी बहुत ज्यादा किया जाता है। साथ ही, इन बर्तनों में बिना तेल का इस्तेमाल से भी खाना बनाना संभव होता है। बहुत तेज आंच पर खाना बनाने से इन बर्तनों में मौजूद केमिकल रिएक्ट करता है। इससे सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।सावधानी के साथ इसका इस्तेमाल आप कर सकते हैं।
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लेकिन इससे पहले कि आप स्टेनलेस स्टील के बर्तन खरीदें, गुणवत्ता की जांच करें क्योंकि यह धातुओं के मिश्रण से बनाया गया है, जो अगर सही तरीके से नहीं बनाया गया तो यह मानव शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। तो, हमेशा एक उच्च गुणवत्ता और टिकाऊ स्टेनलेस स्टील के बर्तन लिए जाएं।
तांबे और पीतल के बर्तनों के फायदे और नुकसान
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तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल भी काफी घरों में किया जाता है, खासतौर पर शादी समारोहों और बड़े फंक्शन्स में। तांबे के बर्तनों के ज्यादा इस्तेमाल से डायरिया, उल्टी और जी मिचलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ तांबे और पीतल के बर्तनों पर दूसरे मेटल की लेयर चढ़ी होती है, जो कॉपर को खाने में शामिल होने से बचाता है। लेकिन जब ये कोटिंग हटने लगती है तो कॉपर का अंश खाने में पहुंचने लगता है। इसका इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा नुकसानदेह होता है।
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तांबे के बर्तनों को अक्सर पकाने और परोसने के लिए एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है। तांबे में भोजन की गर्माहट को लंबे समय तक बनाए रखने का गुण होता है। हालांकि, तांबे के बर्तन में नमकीन खाना पकाने की सलाह सिर्फ इसलिए नहीं दी जाती है क्योंकि नमक में मौजूद आयोडीन तांबे के साथ जल्दी से प्रतिक्रिया करता है, जिससे तांबे के अधिक कण निकलते हैं। इसलिए, ऐसे बर्तनों में खाना पकाने से पहले आपको सावधान रहना चाहिए।
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आपने अपनी दादी को पीतल के बर्तन में खाना बनाते देखा होगा, जो सचमुच इतने भारी थे कि उसे उठाना काफी कठिन काम था! दरअसल, यह आम धारणा थी कि पीतल की थाली में खाना बनाना और खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। हालांकि, पीतल के बर्तन में खाना पकाने की तुलना में उतना हानिकारक नहीं था। गर्म होने पर पीतल नमक और अम्लीय खाद्य पदार्थों के साथ आसानी से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए ऐसे बर्तनों में खाना पकाने से बचना चाहिए।
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यदि आप पीतल के बर्तन में भोजन करते हैं, तो इससे वायुदोष, कफ के साथ कई अन्य शारीरिक समस्याओं के होने की संभावना कम हो जाती है। पीतल के बर्तन में भोजन करने या पानी पीने से कई तरह के पोषक तत्व भी शरीर को प्राप्त होते हैं।
लोहे के बर्तन में खाना पकाने के फायदे और नुकसान
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अन्य बर्तनों के विपरीत, लोहे के बर्तन में खाना बनाना सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से लोहा छोड़ता है, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए आवश्यक है। वास्तव में, कुछ अध्ययनों ने साबित किया है कि लोहे के बर्तनों में खाना पकाने का पारंपरिक तरीका गर्भवती माताओं के लिए अच्छा है क्योंकि यह गर्भ में बच्चे के विकास के लिए आवश्यक सर्वोत्तम पोषक तत्व प्रदान करता है।
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गांव और छोटे शहरों में आज भी लोहे के बड़े-बड़े बर्तनों (Iron Utensils) में खाना पकाया जाता है। कहा जाता है कि लोहे के बर्तन में खाना पकाने से उसमें मौजूद आयरन शरीर में जाता है, जो फायदेमंद होता है।
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लोहे की कड़ाही में आपको कुछ चीजों को बनाने से बचना चाहिए। आमतौर पर आप लोहे की कड़ाही में खट्टी सब्जियों को भूलकर भी ना पकाएं। कढ़ी, रसम, टमाटर की चटनी, सांभर आदि चीजों को तो लोहे की कड़ाही में बनाने की तो सोचें भी नहीं।
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साथ ही लोहे की कड़ाही में बने भोजन को ज्यादा देर तक उसमें न छोड़ें इससे आपके भोजन का रंग काला हो जाता है। जिससे खाने में कड़वाहट आने का डर रहता है। इसलिए ज्यादा देर तक कड़ाही में बने हुए भोजन को इसमें ना छोड़े और कड़ाही को हमेशा माइल्ड डिटर्जेंट से ही धोएं और इसे तुरंत सूखे कपड़े से पोछ दें।
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लोहे की कड़ाही में भोजन पकाते वक्त ध्यान दें की बर्तन पर जंग ना लगा हो। इसलिए जब भी कड़ाही में खाना पकाने के बाद उसे धो कर रखें, तो उसे सूखे कपड़े से अच्छी तरह साफ करें और उस पर हल्का सरसो का तेल लगाकर रखें। ताकि आपकी कड़ाही में जंग ना लग सके।
मिट्टी के बर्तन में भोजन करने के फायदे और नुकसान
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मिट्टी के बर्तन में आज भी लोग गांव-देहात में खाना बनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि खाना बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन से बेहतर कुछ और नहीं होता है। इसमें यदि आप खाना पकाकर खाते हैं, तो आपका पीएच लेवल कंट्रोल में रहता है। इस बर्तन में खाना पकाने से शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व मिलता है। इससे शरीर में कैंसर का कारण बनने वाली कोशिकाओं का निर्माण नहीं होता है।
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मिट्टी के बर्तन में गर्मी के मौसम में पानी रखकर पीने से ठंडक का अहसास मिलता है। मिट्टी के बर्तन में खाने से भोजन का स्वाद भी अच्छा लगता है।
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खाना बनाने के लिए उसे हवा का लगना अति-आवश्यक हैं और कूकर में तो हवा लगेगी नही। मिट्टी के बर्तन या हांड़ी में आप जो भी पकाएंगे व धीमे-धीमे हवा के साथ पकेगा और सेहत को बढ़ाने वाला होगा (Benefits of using clay vessels in Hindi)।
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हमारे शरीर को 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व चाहिए होते हैं जो मिट्टी के बर्तनों से नष्ट नही होते हैं। साथ ही मिट्टी में किसी भी प्रकार का रसायन या अन्य हानिकारण तत्व भी नही मिला होता हैं जिससे भोजन उत्तम ही रहता हैं।मिट्टी के बर्तनों में आपको तेल का बहुत ही कम इस्तेमाल करना पड़ेगा क्योंकि भोजन मिट्टी के बर्तनों से चिपकेगा ही नही। इस प्रकार आपकी आधी समस्या तो यही समाप्त हो जाएगी।
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मिट्टी के बर्तन में खाना हमेशा मध्यम आंच पर ही पकाएं। तेज आंच पर बर्तन क्रैक हो सकता हैं।खाना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप गैस को अचानक से धीमे से तेज़ या तेज़ से धीमा ना करें क्योंकि इससे बर्तन क्रैक हो जायेगा।
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मिट्टी के बर्तन धोने के लिए सामान्य साबुन या डिटर्जेंट का इस्तेमाल ना करें क्योंकि मिट्टी अपने स्वभाव के कारण साबुन के कुछ कणों को सोख लेगी जो अगली बार खाना बनाते समय उसमे मिल जायेंगे। इसके लिए आप गर्म पानी, बेकिंग सोडा, नमक इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं।