
दुनिया ने 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में सिख साम्राज्य के संस्थापक और शासक महाराजा रणजीत सिंह को सब से महान नेता माना
Greatest leaders of all times
बीबीसी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में, महाराजा रणजीत सिंह को से 38 प्रतिशत लोगों द्वारा विश्व इतिहास में सबसे महान नेता के रूप में चुना गया। दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमिलकार काबराल रहे जिन्हें 25 फीसदी वोट हासिल हुए.
काबराल ने पुर्तगाल के राज से गिनी को मुक्त कराने के लिए दस लाख से अधिक लोगों को एकजुट किया और इसके बाद कई अफ्रीकी राष्ट्र स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए प्रोत्साहित हुए.
विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल सात फीसदी वोट के साथ त्वरित निर्णय और राजनीतिक सूझबूझ के लिए तीसरे स्थान पर रहे. अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को चौथा स्थान दिया गया।
महाराजा रणजीत सिंह को इतिहासकार मैथ्यू लॉकवुड – अलबामा विश्वविद्यालय में इतिहास के सहायक प्रोफेसर द्वारा “टॉलेरेशन का आधुनिक साम्राज्य” स्थापित करने के लिए नोमिनेट किया गया था।
सभी समय के सर्वेक्षण में सबसे महान नेता Maharaja Ranjit Singh
बीबीसी वर्ल्ड ने अपने पाठकों को कई प्रसिद्ध इतिहासकारों द्वारा नामित नामों में से सबसे बड़े नेता के लिए वोट करने के लिए कहा था। पाठकों को एक ऐसे नेता को चुनने के लिए कहा गया जो “शक्ति का प्रयोग करता है और मानवता के लिए बेहतरीन राज्य स्थापित करता है जहाँ किसी के साथ कोई भेद भाव न हो “।
38 प्रतिशत से अधिक वोट लेते हुए, महाराजा रणजीत सिंह को सर्वश्रेष्ट राजा माना गया , जिनके शासनकाल में “पंजाब और उत्तर-पश्चिम भारत के लिए एक स्वर्ण युग ” था।
कौन थे महाराजा रणजीत सिंह (Who was Maharaja Ranjit Singh)
महाराजा रणजीत सिंह 1801-39 के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में सिख साम्राज्य के संस्थापक और शासक थे। महाराजा रणजीत सिंह को एक आधुनिक साम्राज्य स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है, जब मुगल साम्राज्य के पतन के कारण इस क्षेत्र को छोटे छोटे कबीलों के बीच युद्ध के कारण अस्त व्यस्त कर दिया था।
इतिहासकार मैथ्यू लॉकवुड के अनुसार, शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में अफगान हमलावरों की घुसपैठ को बंद करके काबुल- कंधार से तिबत तक सिख साम्राज्य की स्थापना की । महाराजा रणजीत सिंह को सभी समुदायों के लिए धार्मिक सहिष्णुता का माहौल भी बनाने के लिए जाना जाता है ,उनकी मृतु के 10 साल बाद तक भी अंग्रेजों की पंजाब पर हमला करने की हिम्मत नही हुई |